हज़रत शाह सिकन्दर कैथली
रहमतुह अल्लाह अलैहि
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत २९ रमज़ान ९६२हिज्री में हुई। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की वालिदा जो हाफ़िज़-ए-क़ुरआन और आलिमा थीं उन्हों ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत से क़बल आधी रात को देखा कि ज़मीन से आसमान तक रोशनी फैल गई है। वो घबरा गईं और बारगाह इलाही में सजदा रेज़ होगईं कि या अल्लाह ये किया मुआमला है। ग़ैब से आवाज़ आई ये तेरे बेटे की पैदाइश का वक़्त है और ये रोशनी इस के दिल का नूर है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत शाह कमाल कैथली रहमतुह अल्लाह अलैहि के पोते थे।
एक दिन हज़रत शाह कमाल कैथली रहमतुह अल्लाह अलैहि हौज़ के किनारे वुज़ू फ़र्मा रहे थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के दाएं तरफ़ आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का असा और इमामा रखा हुआ था। हज़रत शाह सिकन्दर कैथली रहमतुह अल्लाह अलैहि खेलते हुए आए और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का इमामा अपने सर पर रखा और असा हाथ में लेकर निहायत मितानत और संजीदगी से चंद क़दम चले फिर पलट कर अपने जद्द-ए-अमजद से पूछा बताईए बाबा में आप रहमतुह अल्लाह अलैहि जैसा लग रहा हूँ। हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई और फ़रमाया कि कमसिन होने के बावजूद तुम मेरे जैसे लग रहे हो। अब ये इमामा और असा भी तुम्हारा ये ख़िलाफ़त भी तुम्हारी और तुम ही मेरे जांनशीन होगे। ये कह कर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने हज़रत शाह सिकन्दर कैथली रहमतुह अल्लाह अलैहि को सीने से लगा लिया।
सिलसिला आलीया क़ादरिया के शेख़ अलाफ़ाक़ हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि के विसाल के बाद रूस अलावलया-ए-हज़रत शाह सिकन्दर रहमतुह अल्लाह अलैहि १०२३ हिज्री में सज्जादा नशीन होई-ए-और अपने जद मुहतरम की तरह रूहानियत-ओ-तरीक़त के मैदान में तालिबान हक़ की रहनुमाई फ़रमाते रहे। आप से फ़ैज़ पाने वाले हज़रात की ताद्दुद बहुत ज़्यादा है । मगर शेख़ सरहिंद हसरत मुजद्दिद अलफ़सानी और हज़रत-ए-शैख़ ताहिर बंदगी लाहौरी रहमहम अल्लाह ताली दो ऐसी शख़्सियात हैं जिन्हों ने हज़रत शाह सिकन्दर रहमता अल्लाह ताली अलैहि से अपने आप को वाबस्ता क्या । इन दोनों हज़रात के रुहानी ओ रामरानी कारनामे अब तारीख़ का हिस्सा बिन जिके हैं।
हज़रत शाह सिकन्दर रहमता अल्लाह ताली अलैहि के औलाद-ओ-अहफ़ाद में रूहानियत के अलमबरदार उल्मा फुज़ला, शारा-ए-ओ- उदबा और ख़लक़-ए-ख़ुदा के रहनुमा होते रहे हैं। चुनांचे इक़लीम शेअर में हज़रत सय्यद अली सय्यद और रुहानी-ओ-सयासी ज़िंदगी में आफ़ताब वलाएत हज़रत सय्यद अली अहमद गिलानी रहमहम अल्लाह ताली के इस्माई गिरामी नुमायां हैं। मोख़र अलज़कर माज़ी क़रीब के बलंद पाया रुहानी बुज़ुर्ग थे जिन की रुहानी रहनुमाई में एक ज़माने ने राह-ए-हक़ पर चल कर अपनी आक़िबत संवारी । तहरीक-ए-पाकिस्तान के दौरान मौसूफ़ ने अपने आख़बारी बयान के ज़रीये मुसलमानान बर्र-ए-सग़ीर को बिलउमूम और अपने मुतबईन महलसीन और मर यदैन को बिलख़सूस क़याम-ए-पाकिस्तान के लिए वोट देने की हिदायत की।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि सारी सारी रात इबादत इलाही में मशग़ूल रहते। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की नज़र में ऐसी तासीर थी कि जिस की तरफ़ आप रहमतुह अल्लाह अलैहि देखते वो बेख़ुद होकर रह जाता था। एक दफ़ा आप रहमतुह अल्लाह अलैहि जंगल में आधी रात को मसरूफ़ इबादत थे कि चार राहज़न इस तरफ़ आ निकले और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि से शहर की बाबत पूछा। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने उन की तरफ़ ऐसी पर तासीर निगाह से देखा कि वो राहज़नी छोड़कर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के हलक़ा इदारत में शामिल होगए।
हज़रत मुजद्दिद अलिफ़ सानी रहमतुह अल्लाह अलैहि जो कि सिलसिला क़ादरिया में आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के ख़लीफ़ा थे फ़रमाते हैं कि में मौसिम-ए-गर्मा में जब सूरज निस्फ़ अलनहार पर हो तो में खुली आँखों से उसे देख सकता हूँ लेकिन हज़रत शाह सिकन्दर कैथली रहमतुह अल्लाह अलैहि जो रूस उल-औलीया हैं उन की क़लब मुबारक की तरफ़ देखना चाहा तो निगाहें ख़ीरा होगईं और ताब जमाल ना ला सकीं।
एक दफ़ा हज़रत मुजद्दिद अलिफ़ सानी रहमतुह अल्लाह अलैहि अपनी शादी के बाद सख़्त बीमार होगए। हज़रत मुजद्दिद अलफ़सानी रहमतुह अल्लाह अलैहि के अहल-ए-ख़ाना हज़रत मुजद्दिद अलफ़सानी रहमतुह अल्लाह अलैहि की ज़िंदगी से मायूस होगए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के वालिद ने एक क़ासिद के ज़रीये आप रहमतुह अल्लाह अलैहि से दुआ की दरख़ास्त की। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने दोगाना अदा करने के बाद फ़रमाया घबराने की ज़रूरत नहीं है हज़रत मुजद्दिद अलफ़सानी रहमतुह अल्लाह अलैहि जलद सेहत याब होजाएंगे और उन के वजूद से दीन मुबय्यन को फ़रोग़ हासिल होगा। हज़रत मुजद्दिद अलफ़सानी रहमतुह अल्लाह अलैहि की हज़रत शाह सिकन्दर रहमतुह अल्लाह अलैहि से मुहब्बत और अक़ीदत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हों ने अपने बेटे यहयय को कभी इस का नाम लेकर ना पुकारा क्योंकि वो हज़रत शाह सिकन्दर रहमतुह अल्लाह अलैहि की गोद में बैठा करता था। इस लिए सारी उम्र अपने बेटे को शाह जीव कह कर पुकारते रहते थे। शाह जीव हमेशा इस बात पर फ़ख़र किया करते थे कि हज़रत शाह सिकन्दर रहमतुह अल्लाह अलैहि ने बचपन में ही मुझे सुलूक क़ादरिया में मुशर्रफ़ फ़र्मा लिया था।
सुलतान अलमशाइख़ हज़रत निज़ाम उद्दीन औलिया-ए-से मनक़ूल है कि हज़रत मुहम्मद शब मेराज में एक ख़िरक़ा बहिश्त से लाए थे। हज़रत मुहम्मद ने ये ख़िरक़ा हज़रत अली करम अल्लाह वजहा को दे दिया। फिर ये ख़िरक़ा हज़रत इमाम हुसैन अलैहि अस्सलाम और दीगर इमामीन से होता हुआ हज़रत सय्यद अबदुलक़ादिर जहलानी रहमतुह अल्लाह अलैहि तक पहुंचा। फिर ये ख़िरक़ा हज़रत अबदूर्रज़्ज़ाक़ गिलानी रहमतुह अल्लाह अलैहि से होता हुआ हज़रत शाह कमाल रहमतुह अल्लाह अलैहि के पास पहुंचा और फिर हज़रत शाह सिकन्दर कैथली रहमतुह अल्लाह अलैहि के पास पहुंचा। आप ने ये ख़िरक़ा हज़रत मुजद्दिद अलफ़सानी रहमतुह अल्लाह अलैहि को अता फ़रमाया।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के विसाल के मुताल्लिक़ पहले ही इलहाम होचुका था। ९जमादी उलअव्वल१०२३हिज्री को आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने ताज़ा ग़ुसल फ़रमाया, नमाज़ पढ़ी और इस के बाद देर तक सजदे में रहे। इस के बाद जो तबर्रुकात सिलसिला बह सिलसिला चले आरहे थे अपने दोनों सा हब्ज़ा दूं को इनायत फ़रमाए और उन्हें ज़रूरी नसीहतों के बाद अगले रोज़ तलूअ आफ़ताब के बाद इस दार फ़ानी से रुख़स्त होगए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार शरीफ़ कैथल इंडिया में है।